Monday, July 4, 2011

MAUT

Kisi shayar ne maut ko kya khoob kaha:-
 
Zindagi me 2 minit koi mare  pass nahi baitha,
ajj sab mare paas baithe ja rahe the,
 
koi tofha na mila aaj tak muze or ajj phool hi phool diye ja rahe the,
taras gaya mai kisi  ke hath diye vo kapde ko or ajj naye-2 kapde odaye ja rahe the,
 
do kadam koi sath  na chalne ko tayar tha koi or aaj kafila  bana kar jaa rahe the,
Aaj pata chala ke "MAUT"  itni hasin hoti hai,
 
kambhakt "HUM" to yuhi  jiye ja rahe he
 
viv

Monday, March 28, 2011

शीर्षक माँ से बड़कर कौन ?


शीर्षक माँ से बड़कर कौन ?

माँ की बेकदरी ना करना दोस्तों
माँ से बड़कर कौन ?
माँ ने हमको जन्म दिया है
माँ से बड़कर कौन ?
माँ ने हमको पाला पोसा बड़ा किया है
माँ की बेकदरी न करना दोस्तों
माँ से बड़कर कौन ?
माँ का आश्रीवाध जिसने पाया
दुनिया मैं उसने नाम कमाया
माँ जब खाती है तुम्हारी याद सताती है
माँ जब सोती है तुम्हारी याद सताती है
माँ जब रोती है तुम्हारी याद सताती है
माँ की बेकदरी न करना दोस्तों
माँ से बड़कर कौन ?
माँ मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारे मैं जाती है
माँ पूजा भी तुम्हारे लिए करती है
माँ के दिल को न दुखाना मेरे दोस्तों
भगवान से बड़कर माँ का नाम है
भूल न जाना माँ के नाम को
माँ से बड़कर कौन ?
माँ के दूध के कर्ज को किसने चुकाया है
ये आजतक हमने दुनिया मैं नहीं पाया है
माँ के चरणों मै शीश झुकावो
माँ के गुण गान गाते जावो
माँ की हमेशा तुम्हारे लिए एक ही आश है
वो रास्ता तुम्हें मिल जायेगा जिसकी तुम्हें तलाश है
फूलों काँटों का दर्द माँ ने सहा है
इसको जानता है कौन
जब तक दुनिया मैं सूरज चांद रहेगा
तब तक एस दुनिया मैं माँ का नाम रहेगा

Wednesday, March 16, 2011

बूंद बूंद तेजाब हुई है

बूंद बूंद तेजाब हुई है 
शाया कोई किताब हुई है 

गंगाजल कहकर लाये थे 
शीशी मगेर गुलाब हुई है 

मौसम ने किया करवट बदली 
राजनीती शादाब हुई है 

ठंडी राख की तह मैं दबकर 
चिंगारी नायब हुई है 

विवेक इसे गाली कहते है 
अजी रस्मे आदाब हुई
 

रक्तदान एक महादान

किसी की जिन्दगी को बचाने से बड़ा पुण्य भला क्या हो सकता है ! शायद इसीलिए लोग ब्लूड डोनेट करके अलग तरह का संतोष महसूस करते हैं ! कोई भी सेहतमंद शख्स ब्लूड डोनेट कर सकता हैं, कियोंकि इससे कोई नुकसान नहीं होता 


   ब्लूड की जरुरत 
१. दुर्घटना क मामले मैं 
२. डिलेवरी क समय 
३. किसी भी तरह की ब्लूडिंग मैं!
४. सभी बड़े आपरेशन मैं !
५. अंग ट्रांसप्लाnटेशन  
५. थेलेसिमिया ,एप्लास्टिक एनीमिया ,केंसर के इलाज क वक्त ,कीमोथेरेपी के वक्त ,डायलिसिस और           हिमोफिलिया के समय     
  
 आप भी दे सकते हो ब्लूड 
१.आपकी उम्र १८ से ६० साल क बीच हैं!(महिला और पुरुष दोनों क लिए )
२.वजन ४५ किलो या उससे ज्यादा हो !
३.पल्स और बीपी दोनों ठीक हो !
४.हिमोग्लोबिन (एचबी) कम से कम १२.५ हो !
५.पहले भी ब्लूड दिया हैं तो कम से कम तीन महीने बाद 

 देने से पहले इन बातो का ध्यान रखे 
१.जब भी खुद को फ्री और स्वस्थ महसूस करे ,तनाव मैं न हो ,
२.सुबह नास्ता करने के एक-डेढ़ घंटे क अंडर ब्लूड दे सकते है फ़ौरन बाद नहीं !
३. खली पेट ब्लूड नहीं देना हैं सामान्य  खाना खाने क बाद ही ब्लूड दे !
४. ईमानदारी से अपनी बीमारी क बारे मैं पूरी जानकारी डॉक्टर को दे !यह ब्लूड लेने और देने 
दोनों की सुरक्छा   क लिए जरुरी हैं यह भी बताये की कोंन कोंन सी दवाये ले रहे हैं 
५. मान्यता प्राप्त बैंक मैं ही ब्लूड दे ! इसकी पहचान उनके फॉर्म पर लिखे लायसेंस नंबर से हो 
जायेगी ! वे आपको अपना कार्ड देंगे जिस पर डिटेल लिखी होगी !

देने के बाद इन बातो का ध्यान रखे 
१. बलूद डूनेट के पांच से दस मिनट का आराम करना होता हैं !
२. उस दिन नॉर्मल खाना ही खाए फिर भी पानी,ढूध, चाय, कॉफ़ी, जूस आदि ले सकते हो
फिर भी लिक्विड ज्यादा लेना अच्हा रहता हैं!
३. रक्तदान करने क बाद ड्रायविंग समेत सारे रूटीन काम कर सकते हैं!
४. रक्तदान क तीन महीने बाद पून्ह:रक्तदान किया जा सकता अहिं

डरे नहीं ,कुछ फेक्ट्स जान ले 
१.रक्तदान बैग दो तरह क होते हैं ! एक साढ़े तीन सों ऍमअल और दूसरा साढ़े चार सों ऍमअल
का जिनका वजन ६० किलो से कम हो उनका ३५० ऍमअल रक्त ही लेते हैं
और जिनका वजन ६० किलो से उपर हो उनका ४५० ऍमअल  रक्त ही लेते हैं
रक्तदान क समय जितना रक्त लिया जाता हैं वह २१ दिन मैं हमारा शरीर फिर से बना लेता हैं
रक्त की वाल्यूम बडी २४ से ७२ घंटे मैं पूरा बना लेती हैं !
  





Monday, September 20, 2010

हिम्मत है, होशला है, जसारत लगन तमाम
है मेरे पास आज भी जीने के फन तमाम
हिस्सा हो जिस घडी मुझे हिस्से मैं माँ मिले
मेरे नसीब मैं हो ये जन्नत का धन तमाम !

Monday, September 6, 2010

एक नज्म

नर्म ठंडी फजा जब हुई शाम की
नींद सूरज ने ली चाँद के नाम की

वादियों मई कही बंसी बजने लगी
रात दुल्हन बनी और सजने लगी

मस्त झोको ने कलियों को हलके से छुवा
आसमा आके टहनी पे शबनम हुआ

पत्ते पत्ते से झरने लगी चांदनी
रात बिछुवा हुई और महकने लगी

साए पेड़ो के तले सो गए
दो परिंदे थे मस्त एक बदन हो गए

लम्हा लम्हा है जुगनू मै लिपटा हुआ
खुस्बुओ से मुअतेर की उड़ता रहा

मिसर :- ऐ-मीर पग्दंदियो हो गई
सीपिया आई साहिल पे खो गई

रूह के चाँद तक चांदनी रात है
कितना पुरकेफ़ मंजेर.मिरी जात है

रख के पलकों पे मंजेर सो जाऊं मै
एक मख्सुर वादी मै खो जाऊं मैं

नींद खुलते ही धूपों से घिर जाऊँगा
कडवी दुनिया मै इक बार फिर आऊंगा

Monday, July 5, 2010

पहले कितने अच्छे थे
छोटे छोटे बच्चे थे
जी कहता वो करते थे
नहीं किसी से डरते थे
जीवन की खुशियों से हर पल
मिलते और बिछड़ते थे
दो आंसू जो टपके तो
दो सौ लोग पकड़ते थे
मन कहता है फिर से मैं
छोटा बच्चा बन जाऊँ
तुतली सी भाषा में मैं
फिर से अ बी क गाऊँ
पापा फिर चिल्लाएं तो
माँ के आंचल में छिप जाऊँ
जी भर कर फिर से सोऊं
जब चाहे मैं तब जागूँ
फिर दीदी की चोटी
खींच खींच के मैं भागूं
अब जो खुद को देखूं तो
हूँ चार महीने का मेहमान
फिर ख़्वाबों मैं ही मिलेंगे
माँ के हाथों के पकवान.......................



और आब